Thursday, November 13, 2025

धर्मेंद्र के स्वास्थ्य को लेकर मीडिया के एक हिस्से ने दिखाई थी जल्दबाज़ी..!

Sent on Wednesday 12th November 2025 WhatsApp Regarding He Man Dharmendra From Neelima Sharma

A Special Post By Neelima Sharma:  

लेखिका नीलिमा शर्मा ने किया मीडिया के उस कलंक को धोने का प्रयास 

हिंदी कलम की दुनिया के विशेष हस्ताक्षर नीलिमा शर्मा: 13 नवंबर 2025: (पंजाब स्क्रीन स्पेशल डेस्क)

फिल्मी दुनिया के सबसे लोकप्रिय और प्रिय सितारों में गिने जाने वाले धर्मेंद्र भारतीय सिनेमा के ऐसे अभिनेता हैं जिन्होंने न केवल अपने अभिनय से बल्कि अपने सरल और स्नेहिल व्यक्तित्व से भी दर्शकों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी। पंजाब के लुधियाना ज़िले के एक गाँव में 8 दिसंबर 1935 को जन्मे धर्मेंद्र बचपन से ही सादगी, मेहनत और आत्मविश्वास का प्रतीक रहे। एक सामान्य कृषक परिवार से निकलकर उन्होंने फिल्मी जगत में जो पहचान बनाई, वह किसी प्रेरणा से कम नहीं। Bollywood के He Man धर्मेंद्र को लेकर मीडिया के एक हिस्से ने दिखाई थी जल्दबाज़ी  

लेखिका नीलिमा शर्मा दिल्ली से 
धर्मेंद्र का फिल्मी सफर 1960 में फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे से शुरू हुआ। शुरूआती संघर्षों के बाद उन्होंने जल्द ही अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई। 1966 में आई फिल्म फूल और पत्थर ने उन्हें रातोंरात सुपरस्टार बना दिया। उनकी दमदार संवाद अदायगी, व्यक्तित्व और भावनाओं की सच्चाई ने उन्हें हर वर्ग के दर्शकों का चहेता बना दिया। साठ और सत्तर के दशक में धर्मेंद्र ने एक के बाद एक सुपरहिट फिल्में दीं,अनुपमा, सत्यकाम, शोले, चुपके-चुपके, राजा जानी, मेरा गाँव मेरा देश, ड्रीम गर्ल, शराबी, प्रतिज्ञा जैसी फिल्मों ने उन्हें बहुआयामी अभिनेता सिद्ध किया। वे जहाँ एक ओर एक्शन हीरो के रूप में “ही-मैन ऑफ बॉलीवुड” कहलाए, वहीं सत्यकाम जैसी गंभीर फिल्मों में उन्होंने अपनी भावनात्मक गहराई से आलोचकों को भी प्रभावित किया। एक युग था धर्मेंद्र जी का। लोग उनके दीवाने थे। उनकी निजी ज़िंदगी में लोग उनके जज़्बातों से जुड़े हुए थे। 

उनकी सबसे प्रसिद्ध फिल्म शोले में वीरू का किरदार आज भी भारतीय सिनेमा का प्रतीकात्मक पात्र माना जाता है। बसंती के साथ उनकी जोड़ी ने पर्दे पर प्रेम की मासूमियत और खिलंदड़पन दोनों को बड़ी सहजता से जीया। वहीं चुपके-चुपके में उन्होंने हास्य अभिनय का जो स्वाद दिया, वह दर्शकों को आज भी आनंदित करता है। धर्मेंद्र की खासियत रही कि वे किसी भी किरदार को पूरी सच्चाई से जीते थे, चाहे वह रोमांटिक नायक हो या समाज के अन्याय के खिलाफ खड़ा किसान।

व्यक्तिगत जीवन में धर्मेंद्र उतने ही भावुक और रूमानी व्यक्ति  रहे हैं। उनकी पहली पत्नी प्रकाश कौर से दो  बेटियां और दो बेटे सनी और बॉबी देओल हैं, जो स्वयं सफल अभिनेता बने। बाद में धर्मेंद्र ने अभिनेत्री हेमा मालिनी से विवाह किया, जिनसे उनकी दो बेटियाँ  Esha और अहाना देओल हैं। पारिवारिक रिश्तों में भी धर्मेंद्र की सहजता और अपनापन हमेशा दिखाई देता है। वे अपने बच्चों के करियर पर गर्व करते हैं और उनके जीवन में सदैव प्रेरक भूमिका निभाते हैं।

राजनीति में भी धर्मेंद्र ने कदम रखा। 2004 में वे भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर बीकानेर से सांसद चुने गए। यद्यपि उन्होंने राजनीति में अधिक सक्रिय भूमिका नहीं निभाई, फिर भी जनता से उनका जुड़ाव और सादगी का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता था। सिनेमा में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें 2012 में पद्म भूषण सम्मान से अलंकृत किया, जो उनके दशकों लंबे सिने-जीवन का सम्मान था।

कल सोशल मीडिया पर धर्मेंद्र की मृत्यु से जुड़ी झूठी खबरें फैलने से फिल्म जगत में हलचल मच गई। कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और television channel पर यह अफवाह चल पड़ी कि धर्मेंद्र अब नहीं रहे। यह खबर इतनी तेज़ी से वायरल हुई कि कई लोगों ने बिना पुष्टि के श्रद्धांजलि संदेश तक साझा कर दिए। ऐसे में जब धर्मेंद्र का परिवार आगे आया, तो सच्चाई सामने आई। उनकी पत्नी हेमा मालिनी ने तीखी नाराज़गी जताई और कहा कि “ऐसी अफवाहें फैलाना बेहद अमानवीय है। धर्मेंद्र स्वस्थ हैं और उपचाराधीन हैं।” बेटी ईशा देओल ने भी स्पष्ट किया कि “पापा बिल्कुल स्थिर हैं, कृपया इस तरह की झूठी खबरों पर ध्यान न दें।”

इस अफवाह ने न केवल धर्मेंद्र के चाहने वालों को व्यथित किया, बल्कि एक बार फिर यह सवाल उठाया कि सोशल मीडिया के इस दौर में खबरों की सत्यता की जिम्मेदारी कौन लेगा। बिना किसी प्रमाण या आधिकारिक पुष्टि के किसी व्यक्ति के जीवन या मृत्यु से जुड़ी खबरें फैलाना न केवल असंवेदनशीलता है बल्कि मानवीय गरिमा का भी उल्लंघन है। धर्मेंद्र जैसा जीवंत व्यक्तित्व, जिसने भारतीय सिनेमा को इतने यादगार पल दिए, उनके बारे में ऐसी अफवाहें फैलना दुखद है।

धर्मेंद्र का जीवन सादगी और प्रेम का पर्याय रहा है। वे आज भी अपने खेतों, पशुओं और मिट्टी से जुड़े हैं। फिल्मों की चकाचौंध के बीच भी उन्होंने अपने मूल को कभी नहीं भुलाया। यही कारण है कि दर्शक आज भी उन्हें केवल अभिनेता नहीं, बल्कि एक इंसान के रूप में सम्मान देते हैं। उनका व्यक्तित्व यह संदेश देता है कि सच्ची सफलता वही है जो विनम्रता और अपनापन बनाए रखे।

उनकी मुस्कान, संवादों की आत्मीयता, और जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण ने उन्हें न केवल “ही-मैन” बल्कि “ह्यूमन हीरो” बना दिया। धर्मेंद्र ने अपने जीवन और काम से यह सिद्ध किया कि सितारा वही होता है जो समय के पार भी लोगों के दिलों में उजाला छोड़ जाए।

आज जब अफवाहों के इस डिजिटल युग में सत्य और असत्य के बीच की रेखा धुंधली होती जा रही है, धर्मेंद्र जैसे जीवंत कलाकार की गरिमा को समझना और उनका सम्मान करना हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है। उनकी यात्रा इस बात का उदाहरण है कि सिनेमा केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं का दर्पण भी है। धर्मेंद्र की सादगी, भावनात्मक गहराई और प्रेमपूर्ण व्यक्तित्व आने वाली पीढ़ियों के लिए सदैव प्रेरणा रहेगा—क्योंकि धर्मेंद्र केवल अभिनेता नहीं, भारतीय सिनेमा की आत्मा हैं।

धर्मेंद्र का जीवन एक प्रेरक यात्रा है—संघर्ष से सफलता तक, प्रेम से परिवार तक, और सिनेमा से समाज तक। उन्होंने जो कुछ भी किया, पूरे मन और समर्पण से किया। आज जब उनके निधन की झूठी खबरें फैलती हैं, तो यह केवल एक अफवाह नहीं होती—यह उस युग की गरिमा पर चोट होती है जिसने भारतीय सिनेमा को आत्मा दी थी।

धर्मेंद्र आज भी हमारे बीच हैं जीवित, सक्रिय और दर्शकों के प्रेम से भरे हुए। उनके चाहने वालों की एक ही कामना है कि वे शीघ्र पूर्ण स्वस्थ हों और अपनी वही गर्मजोशी और मुस्कान के साथ जीवन की फिल्म में अगला अध्याय लिखें। क्योंकि धर्मेंद्र कोई नाम नहीं एक भाव हैं, एक संवेदना हैं, और भारतीय सिनेमा की अमिट पहचान हैं।  ---नीलिमा  शर्मा

[00:11, 12/11/2025] Neelima Sharma: नीलिमा  शर्मा 

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